घुटन
Two real-life incidents:
आसन्न मृत्यु और उससे जुड़े अलगाव और अकेलेपन के विषय पर एक दमदार कहानी। Leo Tolstoy की कहानी The Death of Ivan Ilych भी आसन्न मृत्यु के विषय पर है।
साथ
अनुगूँज
यह कहानी मैंने पहले अंग्रेजी अनुवाद ("The Echo") में The Illustrated Weekly of India (December 22, 1985) में पढ़ी थी। कहानी मुझे इतनी अच्छी लगी कि मैंने श्रीकांत वर्मा की कहानियों के दो संकलन ऑनलाइन order कर दिए।
The story shows that the admiration and applause of people is temporary and transient, as the admiring crowd would disappear after a while, whereas you have your personal relationships for keeps.
मौत! कैसा भयानक विधान है। मगर एक चीज होती है, मृत्य-दण्ड! मृत्यु नहीं, मृत्यु का भोग। आप इस यंत्रणा की कल्पना नहीं कर सकते। कोई भी नहीं कर सकता। हर रोज फाँसी के तख्ते की ओर एक-एक कदम बढ़ाते, हम जैसे अभागे ही इस खौफ को जानते हैं। … जीवन और मृत्यु दोनों मिलकर, दिल, दिमाग और आत्मा को घुन देते हैं।
मैंने हत्या की थी। … मैंने अपनी इच्छा से अपना अपराध स्वीकार कर लिया था। ...
हम लोग जीवन-भर, दर्शन और मनोविज्ञान का अध्ययन और अध्यापन करते हैं। मगर इस साधारण-से तथ्य पर विचार नहीं करते कि आदमी जितनी सहजता से उन पर अपना हस्ताक्षर करता है, उतनी ही सहजता से उसके परिणामों को नहीं झेल पाता।
मेरे साथ भी यही हुआ। हत्या करते समय और अपराध स्वीकार करते समय मुझे इस बात का जरा भी भान न था कि अभी दूसरे ही क्षण मैं भिन्न व्यक्ति हो जाऊँगा, जिस मृत्य-दण्ड की कल्पना मैंने इतनी सहज की थी, वह मेरी आत्मा पर एक ठण्डे अँधेरे की तरह छा जाएगी और सारा संसार मुझे, मेरे ही सामने अस्त होता नज़र आएगा। …
… कोई चीज अब तक जुड़ी थी और अब अकस्मात् हमसे अलग है, यह अहसास मनुष्य के सबसे बड़े अकेलेपन का अहसास है। कोई भी मनुष्य इस सीमा तक अकेला नहीं होना चाहता। मैं भी नहीं। हम अपनी दुनिया को अपने साथ लिए मरना चाहते हैं, अकेले नहीं।...
... मृत्य-दण्ड। सहसा मुझे जीवन में पहली बार एक भयंकर अकेलेपन, नहीं अलगाव का अनुभव हुआ। उस अदालत में मेरे कितने मित्र और परिचित उपस्थित थे। मुझे लगा जैसे इस एक क्षण में उनके चेहरे बदल गए हैं, अदालत की दीवार का रंग बदल गया है और मेरे हाथों में हथकड़ी का बोझ भारी हो गया है। परिचितों से घिरी मेरी पत्नी का फफक-फफक कर रोना, मेरे कितने समीप होकर भी, कितने दूर की चीज थी! मेरे और उन तमाम लोगों के बीच जैसे एक जन्मान्तर था। …
अभी कुछ क्षण पूर्व संसार मुझसे पृथक होकर एक भिन्न संसार हो गया था। …
अँधेरे के उस पार ही वह सब था, जो अभी तक मेरा था।
Two real-life incidents:
- When jail officials informed Yakub Memon that the three-judge bench constituted by CJI HL Dattu had refused to stay his execution, the 53-year-old broke down, "cursing his luck for being the only person from his family to face punishment for the blasts" (The Times of India, 30 July 2015)
- When Ranga (convict of Sanjay-Geeta Chopra rape-murder case) saw his own death in the face, shivered with fright, cried uncontrollably, and had to be dragged to the gallows.
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किसी चीज को जानना उसका अनुभव करना है और अनुभव करना अनुभव की पुनरावृत्ति से मुक्त होना है।
आसन्न मृत्यु और उससे जुड़े अलगाव और अकेलेपन के विषय पर एक दमदार कहानी। Leo Tolstoy की कहानी The Death of Ivan Ilych भी आसन्न मृत्यु के विषय पर है।
साथ
… उसे महसूस हुआ था कि जब उसने रति को चुना था, तब वह सही थी, चुने जाने के बाद उस रति की केंचुल छोड़कर एक और रति निकल आयी थी। इस रति को वह पहचानता नहीं था और उसकी समझ में नहीं आता था कि वह उससे किस तरह पेश आये। वह शायद अभी भी एक पुराना प्रेमी था, मगर रति प्रेम को आउटलिव कर कुछ और हो चुकी थी।
अनुगूँज
यह कहानी मैंने पहले अंग्रेजी अनुवाद ("The Echo") में The Illustrated Weekly of India (December 22, 1985) में पढ़ी थी। कहानी मुझे इतनी अच्छी लगी कि मैंने श्रीकांत वर्मा की कहानियों के दो संकलन ऑनलाइन order कर दिए।
The story shows that the admiration and applause of people is temporary and transient, as the admiring crowd would disappear after a while, whereas you have your personal relationships for keeps.
"कितना ख़ौफ होता है शाम के अंधेरों में,
पूछ उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते"
(मिर्ज़ा ग़ालिब)