...भविष्यहीन जीवन मनुष्य में कैसी जड़ता, शुष्कता और निर्लिप्तता पैदा कर सकता है, इसका बड़ा सटीक दृष्टांत थीं मम्मी।
...उनकी पूंजी सिर्फ और सिर्फ अतीत था। उसी की स्मृतियां कभी उन्हें उल्लसित कर जातीं तो कभी उदास...
- शैलेन्द्र सागर की कहानी 'विलोपन' से ('हंस', अगस्त 2016)