शेफाली चली गई
वे बीस दिन, जो दुबारा नहीं लौटे ।
वे बीस दिन, जब धरती पंख लगाकर उड़ती रही और आसमान झालर लगाकर थिरकता रहा ।
वे बीस दिन जब तुमने जाना, वह सुंदर नहीं है, लेकिन उससे कई सुंदरताएँ झरती हैं ।
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महीनों बाद शेफाली का फोन आया था ।
हिचक से भरा, पुरानी पहचान की आश्वस्ति खोजता हुआ ।
एक प्रतिभावान लेकिन असुंदर लड़की की दुनिया का संवेदनशील अवलोकन ।
सुधा का फोन
विवाहित जीवन की बेड़ियों और अभ्यस्तियों से विवश नायिका का आर्तनाद ।
बाएँ हाथ का खेल
एक सरल रेखा की यात्रा
बारिश, धुआँ और दोस्त
सुधा का फोन
जिंदगी बिल्कुल दूसरे सिरे पर आ चुकी थी, जहाँ से शुरुआतें ख़त्म हो जाती हैं, अंत शुरू हो जाते हैं ।
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लेकिन कभी दस साल साथ पढ़ चुके दो लोग एक ही शहर में एक-दूसरे से बेख़बर आते-जाते घूमते रहे हों - यह कितनी दिल तोड़ने वाली बात थी...
विवाहित जीवन की बेड़ियों और अभ्यस्तियों से विवश नायिका का आर्तनाद ।
बाएँ हाथ का खेल
सिपाही शिवपाल के लिए हर मामला कानून का है। दिल या दिमाग किनारे रखो, जो कानून बोलता है, उसी के मुताबिक काम करो ।कहानी का अंतिम अंश बेहद मुखर है -
लेकिन का करें शिवपाल यादव। बच्चा को बचाएँ कि कानून को ?
एक सरल रेखा की यात्रा
'तुम इतनी सीधी क्यों हो अंकिता? जरा भी टेढ़ापन नहीं ?... तुम इस दुनिया को और उसके सरोकारों को अपने सीधेपन की वजह से कभी समझ नहीं पाओगी । और हालाँकि मैं कामना नहीं करता, लेकिन जानता हूँ, तुम दुख बहुत पाओगी अंकिता ।'
बारिश, धुआँ और दोस्त
'कहानी क्या होती है ?'
'वह चीज, जिसके आईने में हम ज़िंदगी को नए सिरे से पहचानते हैं ।'
'कहानी कहाँ से मिलती है ?'
'ज़िंदगी को क़रीब से देखने से, रुककर, ठहरकर ।'
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'एक जोक सुनाऊँ ?'
'जोक ? सुनाओ ?'
'एक मंदिर था, वहाँ जाने वाले की नीयत अगर खराब हो तो वह ग़ायब हो जाता था । शाहरुख खान गया, ग़ायब हो गया, सलमान खान गया, ग़ायब हो गया । इसके बाद बिपाशा बसु गई । इस बार पता है, क्या हुआ ? भगवान ग़ायब हो गए ।'
इस बार साझा हँसी है ।
'ऐसे वाहियात चुटकुले कहाँ से लेकर आती हो ?'
'रोहित सुनाता है, उसने और भी वाहियात चुटकुले सुनाए हैं । आपको नहीं सुना सकती ।'
मेरी हँसी में एक ग्रहण-सा लग गया है । एक काली छाया । रोहित से इतनी घनिष्ठता का मतलब क्या है?
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फिर उसके हाथ जींस की जेब टटोल रहे हैं ।
फिर एक सिगरेट उसके हाथ में है ।
और जलने से पहले धुआँ मेरा चेहरा हो गया है ।
उसे अहसास है ।
वह फिर पूछेगी - उसने पूछ लिया ।
'आपको अच्छा नहीं लगता न ?'
'क्या ?' मैं जान-बूझकर समझने से बचने की कोशिश में हूँ ।
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यह मेरे भीतर एक उलझती हुई गाँठ है जो एक कोमल चेहरे और एक तल्ख सिगरेट के बीच तालमेल बनाने की कोशिश में कुछ और उलझ जा रही है ।
