मैं जबसे उनके साथ बँधी,
ये भेद तभी जाना मैंने,
कितना सुख है बन्धन में.
ये भेद तभी जाना मैंने,
कितना सुख है बन्धन में.
- एक फिल्मी गीत (रजनीगंधा) से
सेवंती की दुनिया में इतना संघर्ष है कि उसके पास इतना समय नहीं होता कि वह अपने दुःख और संघर्ष से उबरकर दूसरों के चेहरे से उसका सुख-दुख पढ़े.
...किसी के लिए भी खरीदो, उपहार खरीदने में भी एक अलग किस्म की उत्तेजना होती है. खुशी होती है.
बुढ़ापा कहीं किसी युवा का भविष्य सुरक्षित करता है? वह तो स्वयं कब्र से उल्टी दिशा की ओर किसी युवा की साँसों और सोचों के बीच अपनी जगह बनाने को बेचैन रहता है, किसी भी रूप में जुड़कर धीमी होती जीवन की गति को लयात्मक बनाये रखना चाहता है.
- सोमा भारती की कहानी 'नींद से पहले' से ('कथादेश', अगस्त 2005)
जिस प्रकार एक यूनानी दार्शनिक के कथनानुसार एक ही दरिया में दो व्यक्ति नहीं नहाते, हालांकि दरिया वही रहता है, उसी तरह दो अलग-अलग यात्री एक ही शहर में नहीं आते, हालांकि शहर वही रहता है.
- 'चीड़ों पर चाँदनी' (निर्मल वर्मा) से
...पिछली रात जब हम बेखबर सो रहे थे, बर्फ चुपचाप गिरती रही थी.
- 'चीड़ों पर चाँदनी' (निर्मल वर्मा) से