Sunday, May 30, 2010

बन्धन का सुख

मैं जबसे उनके साथ बँधी,
ये भेद तभी जाना मैंने,
कितना सुख है बन्धन में.
- एक फिल्मी गीत  (रजनीगंधा) से

Saturday, May 22, 2010

नींद से पहले

सेवंती की दुनिया में इतना संघर्ष है कि उसके पास इतना समय नहीं होता कि वह अपने दुःख और संघर्ष से उबरकर दूसरों के चेहरे से उसका सुख-दुख पढ़े.

...किसी के लिए भी खरीदो, उपहार खरीदने में भी एक अलग किस्म की उत्तेजना होती है. खुशी होती है.

बुढ़ापा कहीं किसी युवा का भविष्य सुरक्षित करता है? वह तो स्वयं कब्र से उल्टी दिशा की ओर किसी युवा की साँसों और सोचों के बीच अपनी जगह बनाने को बेचैन रहता है, किसी भी रूप में जुड़कर धीमी होती जीवन की गति को लयात्मक बनाये रखना चाहता है.
 - सोमा भारती की कहानी 'नींद से पहले' से ('कथादेश', अगस्त 2005)

साँसों - physical
सोचों - mental

Saturday, May 1, 2010

चीड़ों पर चाँदनी

जिस प्रकार एक यूनानी दार्शनिक के कथनानुसार एक ही दरिया में दो व्यक्ति नहीं नहाते, हालांकि दरिया वही रहता है, उसी तरह दो अलग-अलग यात्री एक ही शहर में नहीं आते, हालांकि शहर वही रहता है.

- 'चीड़ों पर चाँदनी' (निर्मल वर्मा) से
 दो अलग-अलग यात्री एक ही शहर में नहीं आते, क्योंकि शहर के अनेक रूप होते हैं, और एक यात्री उसका कोई एक रूप ही देख पाता है.


...पिछली रात जब हम बेखबर सो रहे थे, बर्फ चुपचाप गिरती रही थी.
- 'चीड़ों पर चाँदनी' (निर्मल वर्मा) से