Saturday, May 1, 2010

चीड़ों पर चाँदनी

जिस प्रकार एक यूनानी दार्शनिक के कथनानुसार एक ही दरिया में दो व्यक्ति नहीं नहाते, हालांकि दरिया वही रहता है, उसी तरह दो अलग-अलग यात्री एक ही शहर में नहीं आते, हालांकि शहर वही रहता है.

- 'चीड़ों पर चाँदनी' (निर्मल वर्मा) से
 दो अलग-अलग यात्री एक ही शहर में नहीं आते, क्योंकि शहर के अनेक रूप होते हैं, और एक यात्री उसका कोई एक रूप ही देख पाता है.


...पिछली रात जब हम बेखबर सो रहे थे, बर्फ चुपचाप गिरती रही थी.
- 'चीड़ों पर चाँदनी' (निर्मल वर्मा) से

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