Saturday, September 17, 2011

एक प्याली काँफी (इंदिरा दांगी)

सहसा नम खुशबू के एक ताजा झोंके ने ड्यूटी रूम में प्रवेश किया.


वह जहाँ होती है, वह जगह सज जाती है.
- इंदिरा दांगी की कहानी 'एक प्याली काँफी' से (आउटलुक, जून 2011)

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