Wednesday, January 25, 2012

घोड़ा एक पैर (दीपक शर्मा)

उसकी जूझ, उसकी झोंक, उसकी पसंद बराबर समझने वाला. उसके मिज़ाज, उसके उतावलेपन, उसके उन्माद को ढोने वाला. अपनी टेक में उसे थाम रखने में पूरी तरह से समर्थ.
- दीपक शर्मा की कहानी 'घोड़ा एक पैर' से 

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