... गली के ऊपर फड़फड़ाती चाँदनी... किसी पेड़ पर टंगा वसंत... नालियों में जमा पतझड़.
(Gulzar-esque writing)
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नैतिकता का... पुण्य का... संस्कारों का चाबुक...
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न वो लोग रहे, न वे बातें.
(a classic nostalgic statement)
(Gulzar-esque writing)
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नैतिकता का... पुण्य का... संस्कारों का चाबुक...
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न वो लोग रहे, न वे बातें.
(a classic nostalgic statement)
- प्रियंवद की कहानी 'बोधिवृक्ष' से
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