Friday, July 13, 2012

परिंदे का इन्तज़ार-सा कुछ... (नीलाक्षी सिंह)

सब कुछ सुलझा हुआ और तरतीब से था हमारे बीच। किसी जिद, नानुकर, मान-मनौवल के लिए जगह नहीं छोडी थी हमने।

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ज़िन्दगी का ऐसा ही खूबसूरत जायका मेरे काबू में था की तभी ख़बर लपट की तरह...

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अचानक मेरी पलकों में कोई एक आंसू फँस गया...मैंने महसूस किया।


Comments: नीलाक्षी सिंह के लेखन में कला बेहद सधी हुई है। At her age, this is an accomplishment.

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