Friday, October 11, 2013

प्रेम रोग

पद्मिनी कोल्हापुरे - तुम तो देव बहुत जबरदस्ती करने लगे हो.
ऋषि कपूर - तुमने जो करनी छोड़ दी है.

- फिल्म प्रेम रोग’ में

Sunday, July 21, 2013

देश-विदेश की प्रसिद्ध कहानियाँ

नोबोकोव ने लेखन को विशुद्ध प्रतिभा की बदौलत कहा है. गोगोल की 'तस्वीर', स्टीफन स्वाइग की 'अदृश्य संग्रह' और 'शतरंज', प्रेमचंद की 'कफन', रेणु की 'मारे गए गुलफाम', दूधनाथ सिंह की 'धर्मक्षेत्रे-कुरुक्षेत्रे', प्रभु जोशी की 'पित्रऋण', संजीव की 'अपराध', रेमण्ड कार्वर की 'बुखार'तथा आइजैक सिंगर की 'पांडुलिपि' जैसी कहानियों को पढ़कर नोबोकोव की बात सच लगती है…
- ओमा  शर्मा के लेख से ('कथादेश', जनवरी 2013)


ऐसा लगता है कि हिंदी का हर कहानीकार किसी न किसी रूप में चेखव की एक कहानी 'एक क्लर्क की मौत' को फिर से लिखना चाहता है. चेखव की यह छोटी कहानी अधिकारी और अधीनस्थ कर्मचारी के संबंध पर मार्मिक प्रकाश डालती है.
- 'दिनमान' (February 1, 1987) में प्रकाशित एक समीक्षा से



सफलता की मदांधता की कहानी - बउरैया कोदो (अमरकांत)
संपन्नता की मदांधता की कहानी - पिंटी का साबुन (संजय खाती)
पद / शक्ति की मदांधता की कहानी - टोपी (संजय सहाय)


'जलते हुए मकान में कुछ लोग' (राजकमल चौधरी) जैसी कहानी
- एक ब्लॉग (www.jankipul.com) से 

Monday, June 3, 2013

Transience Theme in Bollywood Songs

ये हवाएँ कभी चुपचाप चली जाएँगी,
लौट के फिर कभी गुलशन में नहीं आएँगी।

- 'हिमालय की गोद में' फिल्म के एक गीत से

जिन्दगी के सफ़र में गुजर जाते हैं जो मकाम,
वो फिर नहीं आते।
- 'आप की कसम' फिल्म का एक गीत

Wednesday, January 23, 2013

एहसास का बयान

अलफ़ाज़ एहसास को बयान नहीं कर सकते।
- कथादेश में एक संस्मरण से
 
 
अभिनय शायद कर पाता है।

Tuesday, January 22, 2013

प्रतिनिधि कहानियाँ (गीतांजलि श्री)

कसक

पर बचपन की उदारता दूसरी होती है। उसमें हर फर्क के बावजूद, हर 'कॉम्प्लेक्स' के बावजूद कुछ ऐसे धागे होते हैं कि यह कहूँ कि किसी को भी किसी से जोड़ सकते हैं, तो लेश-मात्र ही अतिशयोक्ति होगी। आपस की हर दूरी, अन्दर की सारी हीन भावनाओं से बढ़कर एक 'कल' जो होता है - दूर-दूर तक फैला, वह 'कल' जब हम बड़े हो जाएँगे। यह हम सब को जोड़ देता है। उस 'कल' में अपार शक्ति है।

Future as the binding force.