Thursday, June 5, 2014

सूखा तथा अन्य कहानियाँ (निर्मल वर्मा)

टर्मिनल

दूसरे दिन जब वे दोबारा मिलते तो कुछ ऐसा लगता जैसे आँधी-पानी के बाद कोई नया दिन निकला हो।

(एक प्रेमी-युगल की लड़ाई होने के अगले दिन के बारे में)

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