Wednesday, October 15, 2014

पीटरसन एन्ड पीटरसन और मसूरी का सफ़र (मृदुला गर्ग)

…हमें तुरन्त नींद ने आ दबोचा। … अगली सुबह आँख खुली तो आठ बजा चाहते थे... खुमारी को झटक बाहोश हुए तो...


मेरा अनुभव है, जब बदन पर थकान हावी हो तो हम बेसाख्ता, छोटे-छोटे जुमलों में सच बोल जाते हैं।

- मृदुला गर्ग की कहानी 'पीटरसन एन्ड पीटरसन और मसूरी का सफ़र' से ('नया ज्ञानोदय', अगस्त 2007)

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