Tuesday, December 13, 2016

अब्दुल मजीद की मिट्टी (मनीष वैद्य)

कभी नहीं लगता था कि ऐसा दौर भी आएगा, लेकिन आया और इतनी बेरहमी से आया कि उन्हें और उनके हुनर को कुचलते हुए नेस्तनाबूद कर गया।

- मनीष वैद्य की कहानी 'अब्दुल मजीद की मिट्टी' से ('पाखी', नवंबर-दिसंबर 2016) 

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