Sunday, May 10, 2020

दुश्मन मेमना (ओमा शर्मा)


'कल के अलावा पहले भी यह तीन बार कोशिश कर चुकी है।'

'तीन!'

हम दोनों विस्मय से काँप उठते हैं। एक संभावित त्रासदी से ज्यादा उसके जीवन से बेदखल और फिजू़ल होते अपने जीवन की त्रासदी से। दिन-रात उसकी खुशी के लिए खा़क होते हम जैसे कुछ नहीं... एक अनजान डॉक्टर ज्यादा भरोसेमंद हो गया।
……..

अपने यकीन के बेसहारा और तिलमिलाकर अपदस्थ होने के कारण...
………

नौजवान लड़की-लड़के एक-एक विचार को तकनीकी में पिरोकर नए-नए उद्यम खड़ा कर दे रहे हैं...
……..

कैसे अनवर्त्य (इर्रिवरसिबल) ढंग से कुछ जिंदगियाँ हमेशा के लिए बदल जाती हैं! आसमान तोड़ आर्तनादों को भी सांख्यिकी कितनी अन्यमनस्कता से अनसुना रख छोड़ती है!
……..

बस सोचे जा रहा हूँ कि... बिल्ली को छौने की मुलायमियत कैसे लौटाई जा सकेगी?


- ओमा शर्मा की 'रमाकांत स्मृति कथा-सम्मान' से नवाजी गई कहानी 'दुश्मन मेमना' से



काश बच्चे कभी बड़े ही नहीं हुआ करते! (RKP)

No comments:

Post a Comment