Friday, April 30, 2010

हजारों खुशियों के वायदे

बहार, जो आने को थी, दूर खड़ी उन्हें देख मुस्कुरा रही थी और हजारों खुशियों के वायदे कर रही थी.
- एंटन चेखव की अनुदित कहानी 'टिड्डा' से

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