Sunday, March 23, 2014

इलाहाबाद के पथ पर... (वन्दना राग)

उन शहर के लोगों से बात कर देखिए, जिनके शहरों में अभी तक मॉल (शॉपिंग सेंटर) नहीं आया है। कितना पिछड़ा हुआ महसूस करते हैं वे अपने आपको। ...वह एक महत्त्वपूर्ण बिम्ब है जो छोटे को बड़े शहर से अलग करता है।
- वन्दना राग (एक संस्मरण 'इलाहाबाद के पथ पर...' से , 'नया ज्ञानोदय', फरवरी 14)

संस्मरण की भाषा प्रांजल है ।

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