Friday, August 29, 2014

किंग लियर (मृणाल पाण्डे)

'किंग-लियर' शेक्सपीयर के लिखे चार महान त्रासदी-नाटकों में से एक है। नाटक का नायक राजा लियर एक भव्य और भयावह पात्र है। उसकी मार्फत शेक्सपीयर दर्शकों को मानवीय रिश्तों के सबसे गोपनीय तलघर को ले जाने वाली सीढ़ियों से उतारते हुए उन्हें अंतिम जीवन-सत्य के आतंकित करनेवाले स्वरुप के सामने ला खड़ा करता है। गर्वीला, उदार और अहंवादी बूढ़ा राजा लियर एक दिन तै कर लेता है कि अब उसे राज-पाट त्यागकर संन्यास ले लेना चाहिए। तब तक वह यह नहीं समझ पाया है कि राज-पाट त्यागने का एक अर्थ अपना दबंग राजसी स्वभाव और राजकीय शक्ति को भी त्यागना होता है और यही चूक उसकी त्रासदी का मूल बन जाती है।

- मृणाल पाण्डे 'कादम्बिनी' में एक सम्पादकीय में


Sunday, August 24, 2014

How Everything Changes!

Frail and propped up in a chair, Mr Jha wasn’t quite the man I knew. His memory seemed intact but he was upset about not being able to work. “I just can’t depend on others and remain idle,” he said. He also told me that the man employed as his carer was not kind to him. How everything changes—the strong, flamboyant editor I’d held in awe was suddenly so vulnerable.


- From a memoir by Mohan Sivanand

Friday, August 22, 2014

जलती झाड़ी (निर्मल वर्मा)

मायादर्पण
...तरन देर तक भाई के बारे में सोचती रही थी। कितने बरसों से उन्हें नहीं देखा है !...अब तक तो शायद वह बिलकुल बदल गए होंगे... 
एक धुँधली-सी तस्वीर आँखों के सामने उभर जाती है, कहीं बहुत दूर, चाय के बागों के झुरमुट में उनका बंगला छिपा होगा। कहते हैं, वहाँ स्टीमर पर जाना पड़ता है। न जाने, स्टीमर में बैठकर कैसा लगता होगा !
किसी आत्मीय की सुदूर, अनजानी जिंदगी के बारे में सोचना।

निर्मल वर्मा की यह एक जानी-मानी कहानी है, जिस पर इसी नाम से राष्ट्रीय पुरस्कार-प्राप्त फिल्म भी बन चुकी है। पर मुझे तो नहीं जमी।

A Good Man Is Hard To Find (Flannery O'Connor)

"These days you don't know who to trust." 
"People are certainly not nice like they used to be."
"Everything is getting terrible." 
- Two old people talking, in the short story 'A Good Man Is Hard To Find' by Flannery O'Connor

It is a very popular short story. I didn't like it though. Maybe because it alludes to certain subtleties of the Christian faith that I am not familiar with.

Wednesday, August 20, 2014

हिरनी (चन्द्रकिरण सौनरेक्सा)

"राज़ी रहीं बीबीजी ! अच्छा, शादी हो गई ? मुबारिक।" उसने फुसफुसाकर कहा।

और सिर्फ पहचान करने-कराने को उसने जो बुरका उठा दिया था उसे फिर डाल लिया, हालाँकि उस समय वहाँ कोई मर्द न था।  खुदैजा के इस व्यवहार पर मुझे आश्चर्य हुआ। स्वच्छन्द हिरनी अब खूँटे से बँधी बकरी थी।

"वाह, अब तुम एकदम बन्दगोभी हो गई, भाभी !"

"हमेशा ही बेवकूफ थोड़ी ही बनी रहूँगी," उसने धीमे से उत्तर दिया, "अब तो अक्ल आ गई है।"

"अच्छा, अक्ल आ गई है ? अब तो बड़ी उर्दूदाँ बन गई हो। हमें तो भई नहीं आई अक्ल। उसी तरह बेलगाम घुमती हूँ....।"

- चन्द्रकिरण सौनरेक्सा की कहानी  'हिरनी' से

अपने बदले हुए सामाजिक परिवेश के प्रभाव से व्यक्ति न केवल बदलता है, बल्कि अपने पहले की आदतों, रुचियों, विचारों और मूल्यों को भी खारिज करने लगता है - यही है इस कहानी का कथ्य। कहानी प्रभावशाली बन पड़ी है।

Friday, August 15, 2014

मृत्यु

मरने वाले के साथ थोड़ा हम भी मर जाते हैं।
- प्रियदर्शन, एक ब्लॉग में

लेखन यानी क्रूरता के लिए भी संवेदना

किसी किसान के पास एक गाय थी. गाय ने बछड़ा दिया और बछड़ा मर गया. किसान दूध निकालने के लिये गाय को इन्जेक्श्न देता, बांध देता. घटना बस इतनी है। 
बकौल मधुकर सिंह इस घटना को आम आदमी के नजरिए से देखा जाए तो किसान क्रूर नज़र आता है. दूध निकालने के लिए पशुता पर उतारू हो जाता है. किन्तु जब इसी घटना को एक लेखक देखता है तो उसे याद आता है कि किसान ने जब गाभिन गाय खरीदी तो उसके घर के उपर छप्पर नही था. उसके बच्चे के देह पर कपडे नही थे. उसकी सोच थी कि गाय का दूध बेच कर वह यह सब कर लेगा. लेकिन उसपर तो विप्पति का जैसे पहाड टूट पडा. बच्चे का कपडा भी नही छप्पर भी नही और बछडा भी नही. तब किसान को क्रूरता अपनानी पडी. 
एक लेखक उस किसान की उस क्रूरता में करुणा की तलाश करता है।
- एक ब्लॉग से 

Saturday, August 9, 2014

विकल्प (अपर्णा टैगोर)

मुहल्ले के अधिकांश लोग मध्यमवर्ग और निम्न मध्य वर्ग के थे. उन्हें देखने से ऐसा महसूस होता जैसे सब-के-सब अपनी-अपनी स्थितियों से खुश रहनेवाले जीव हैं.


आर्थिक मोर्चे पर उसकी विफलता ने गुच्छू को उससे दूर कर दिया है.

अपर्णा टैगोर की कहानी 'विकल्प' से (धर्मयुग, 22 दिसंबर 1985)

आर्थिक विफलता कितने ही संबंधों को लील लेती है, या संबंधों का आनंद उठाने से वंचित कर देती है.  

Friday, August 8, 2014

Parson’s Pleasure (Roald Dahl)

Read Roald Dahl's short story 'Parson’s Pleasure' in Hindi translation in an old issue of Sarvottam.

From an online review of the short story:
The other great thing about this story is how the main character, a fraud, explains to some ignorant people how frauds make fraudulent antiques while at the same time he's trying to defraud them.