'किंग-लियर' शेक्सपीयर के लिखे चार महान त्रासदी-नाटकों में से एक है। नाटक का नायक राजा लियर एक भव्य और भयावह पात्र है। उसकी मार्फत शेक्सपीयर दर्शकों को मानवीय रिश्तों के सबसे गोपनीय तलघर को ले जाने वाली सीढ़ियों से उतारते हुए उन्हें अंतिम जीवन-सत्य के आतंकित करनेवाले स्वरुप के सामने ला खड़ा करता है। गर्वीला, उदार और अहंवादी बूढ़ा राजा लियर एक दिन तै कर लेता है कि अब उसे राज-पाट त्यागकर संन्यास ले लेना चाहिए। तब तक वह यह नहीं समझ पाया है कि राज-पाट त्यागने का एक अर्थ अपना दबंग राजसी स्वभाव और राजकीय शक्ति को भी त्यागना होता है और यही चूक उसकी त्रासदी का मूल बन जाती है।
- मृणाल पाण्डे 'कादम्बिनी' में एक सम्पादकीय में
