लेखन यानी क्रूरता के लिए भी संवेदना
किसी किसान के पास एक गाय थी. गाय ने बछड़ा दिया और बछड़ा मर गया. किसान दूध निकालने के लिये गाय को इन्जेक्श्न देता, बांध देता. घटना बस इतनी है।
बकौल मधुकर सिंह इस घटना को आम आदमी के नजरिए से देखा जाए तो किसान क्रूर नज़र आता है. दूध निकालने के लिए पशुता पर उतारू हो जाता है. किन्तु जब इसी घटना को एक लेखक देखता है तो उसे याद आता है कि किसान ने जब गाभिन गाय खरीदी तो उसके घर के उपर छप्पर नही था. उसके बच्चे के देह पर कपडे नही थे. उसकी सोच थी कि गाय का दूध बेच कर वह यह सब कर लेगा. लेकिन उसपर तो विप्पति का जैसे पहाड टूट पडा. बच्चे का कपडा भी नही छप्पर भी नही और बछडा भी नही. तब किसान को क्रूरता अपनानी पडी.
एक लेखक उस किसान की उस क्रूरता में करुणा की तलाश करता है।
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