Saturday, August 9, 2014

विकल्प (अपर्णा टैगोर)

मुहल्ले के अधिकांश लोग मध्यमवर्ग और निम्न मध्य वर्ग के थे. उन्हें देखने से ऐसा महसूस होता जैसे सब-के-सब अपनी-अपनी स्थितियों से खुश रहनेवाले जीव हैं.


आर्थिक मोर्चे पर उसकी विफलता ने गुच्छू को उससे दूर कर दिया है.

अपर्णा टैगोर की कहानी 'विकल्प' से (धर्मयुग, 22 दिसंबर 1985)

आर्थिक विफलता कितने ही संबंधों को लील लेती है, या संबंधों का आनंद उठाने से वंचित कर देती है.  

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