उफ़! कितने वर्ष! कितने वर्ष एक... तिलिस्म में क़ैद रहा हूँ मैं.
- जितेन ठाकुर की कहानी 'एक बंगला सबसे न्यारा' से ('हंस', अक्टूबर 2001)
एक मृग-मरीचिका के पीछे जिंदगी खरच देने के अहसास की पीड़ा. कई बार ऐसा भी होता है कि मृग-मरीचिका के मृग-मरीचिका होने के चिन्ह उस व्यक्ति को स्पष्ट दिखाई पड़ते हैं, पर वह उन चिन्हों को नज़रअंदाज़ करने और मृग-मरीचिका के जादू में बने रहने का लोभ संवरण नहीं कर पाता. या उसे तल्ख़ सच्चाई से सामना कराने वाला कोई नहीं मिलता.