Friday, February 21, 2014

शॉर्ट फ़िल्म (प्रभात रंजन)

चिट्ठियों में हमने यह जान लिया था कि हम दोनों अलग-अलग दुनियाओं में रह रहे थे। जिन्हे एक करने की कोई सूरत नहीं बची थी। समय के साथ वह दूरी और बढ़ती जा रही थी। वह अमेरिका के बारे में, वहाँ कि यूनिवर्सिटी सिस्टम के बारे में लिखती थी। मुझे दिल्ली के बारे में लिखते हुए शर्म आती थी। मुझे ऐसा लगने लगता जैसे वह मुझे गाँव में छोड़कर शहर चली गई हो।
प्रभात रंजन की कहानी 'शॉर्ट फ़िल्म' से  (आउटलुक , जनवरी  2014

No comments:

Post a Comment