Tuesday, February 25, 2014

दूसरी, तीसरी... सातवीं औरत का घर! (नीला प्रसाद)

"तुम अतीत से बने हो पर तुम अतीत नहीं हो. तुम वर्त्तमान हो तो वर्त्तमान में जीना, उसकी इज्जत करना सीखो."
- नीला प्रसाद की कहानी 'दूसरी, तीसरी... सातवीं औरत का घर!' से ('कथादेश', जनवरी 2006)

अतीतजीवी 

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