Tuesday, April 15, 2014

चार घंटे (कविता)

"कुछ भी हो मैडम ई बिहार है। ई पत्तरकारिता-फत्तरकारिता सब बाहर के लिए ठीक है, उधर है पूछ, ईहां त सब बराबर है।"

 - कविता की कहानी  'चार घंटे' से 

बिहारी भाषा की बानगी। 

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