Friday, May 16, 2014

काले साये (लवलीन)

दोनों चुप थे. लेकिन माहौल ध्वनित था. अतीत की गूँजों-अनुगूँजों की तरंगें दोनों के दिलो-दिमाग पर छायी हुई थी.

...वक्त की धूल में घटनाएँ धूसर हो गयी थीं.

- लवलीन की कहानी 'काले साये' से ('कथादेश', जनवरी 2006)

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