दोनों चुप थे. लेकिन माहौल ध्वनित था. अतीत की गूँजों-अनुगूँजों की तरंगें दोनों के दिलो-दिमाग पर छायी हुई थी.
...वक्त की धूल में घटनाएँ धूसर हो गयी थीं.
...वक्त की धूल में घटनाएँ धूसर हो गयी थीं.
- लवलीन की कहानी 'काले साये' से ('कथादेश', जनवरी 2006)
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